इश्क़ शायरी
अच्छी सूरत को संवरने की क्या जरूरत है,
सादगी में भी क़यामत की अदा होती है।
चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले,
मैंने हर दगाबाज की बाहों में सनम देखा है।
ना जाने किसके ख्यालो में जीता रहता हूँ,
एक चाय को घण्टों पीता रहता हूँ।
ना दिल की चली ना आँखो की,
हम तो दीवाने बस तेरी मुस्कान के हो गये।
ये इश्क भी बेसबब हसरतें पाल लेता है,
रेत का सफर है और दरिया थाम लेता है।
कोई झाँके तो सही मेरे अन्दर टुकड़ों में मिलूंगा,
ये हँसता हुआ चेहरा तो महज़ दिखावे भर का है।
उसे मालूम था मैं उससे लिपट कर रो दूंगा इसलिए,
आख़िरी अलविदा फोन पर ही कहा उसने।
न गिला है कोई हालात से, न शिकायेतें किसी की जात से,
खुद से सारे लफ्ज जुदा हो रहे हैं मेरी ज़िन्दगी की किताब से।
लिख दूंगा नाम तेरा सरेआम यहां,
मुझे कीमत वफा चाहिए इस सौदे की।
कौन कहता है क़ि चाँद तारे तोड़ लाना ज़रूरी है,
दिल को छू जाए प्यार से दो लफ्ज़ वही काफ़ी है।
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