Pyar shayari
शमा की महफ़िल ही क्या
जिसमे परवाना जल कर ‘ख़ाक’ न हो
मज़ा तो तब आता है चाहत का मेरे यार
जब दिल तो जले मगर राख न हो
जिसको भी चाहा दिल से वह मतलबी हो गया,
जब दिल भर गया उसका तो छोड़ के चला गया।
अल्फाज़ो मे कहाँ आती हैं कैफियत दिल की,
महसूस जो होता हैं वो बताया नहीं जाता।
जिसका जब मन चाहा आया दिल में,
जिसका मन चाहा बस गया दिल में।
जिसका जब मन चाहा दर्द दे गया उसी दिल में
करती हूं इश्क बेइंतेहा मान लीजिये
ये मेरा दिल है कागज नहीं अब तो जान लीजिये।
हमारे बाद भी आबाद थी उनकी महफिले
और हम समझते रहे उनकी रौनके सिर्फ हमसे हैं।
शायरी भी लफ्जों की पेचीदा शतरंज है,
निशाना किसी और पे पर घायल कोई और है।
जरुरी नहीं की हम दोनो का निकाह या फेरे हो
छोटी सी चाहत है हर जनम में हम सिर्फ तेरे हो।
जुबान पर अगर गुरुर हो तो सुलह कहा से होगी,
चाहते अगर दिखावे की हो तो मोहब्बत कहा से होगी।
थम के रह जाती है ज़िन्दगी,
जब जम के बरसती है पुरानी यादें।
हमारा वक्त इतना भी कीमती नहीं की अपने दिल की ना सुने,
आप हमारी जिंदगी हो यार आप अपने आप को अजनबी न कहे।
मैंने करवट बदल के देखा है,
याद तुम उस तरफ़ भी आते हो।
हमने भी कभी प्यार किया था आपसे,
थोड़ा नही बेशुमार किया था आपसे,
दिल टूट कर रह गया
जब उसने कहा अरे मैने तो थोड़ा मज़ाक किया था।
उसका काला टीका किसी सुदर्शन से कम नहीं,
माँ_एक उँगली काजल से सारी बलायें टाल देती है।
हर मंदिर मस्जिद जाके तुझे मांगा है,
फिर भी ना जाने क्यों तुझे खुद से जुदा ही पाया है।
जितनी में बेसबर हूं उनको लेकर,
कोई बता दे की दिल उनका भी बेताब है क्या।
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