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सब जान के अनजान बन रहा हू मै,

कुछ इस तरह इस दिल पर मेहरबान हो रहा हु में


सितम पे सितम कर रही है वो मुझ पर,

मुझे शायद अपना समझने लगी है अब


जज़्बात लिखे तो मालूम हुआ,

पढ़े लिखे लोग भी,पढ़ना नहीं जानते।


मुमकिन ही नहीं कि दर-दर पर झुक जाऊँ मैं,

मेरा रब भी एक है  मेरा सर भी एक है।


फरमान अपनी हदों में रहने का आ गया है,

वक्त अलविदा कहने का आ गया हैं।



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हमने इबादत रखा है हमारे रिश्ते का नाम,

मोहब्बत को तो लोगों ने बदनाम कर दिया।


वो मुझसे बिछड़ना चाहती थी,

मैंने कहा दुआ कर मेरी मौत की।


मेरे अल्फाजो को समझने वाले,

लगता है तेरे ज़ख्म भी गहरे है।


उसके ख्यालों से रंग गयी है रूह तक मेरी,

अब किसी और का ख्याल आये तो आये कैसे।


जीभ जलने पर जब "चाय" नहीं छोड़ी जाती,

तो दिल जलने पर "इश्क" कहां से छोड़ देंगे।


माना इतने बेहतरीन नहीं है हम लेकिन,

बात-बात पर रंग बदले इतने रंगीन भी नहीं है हम।


रंग भी उसी का चढ़ा है अब तक,

जिसने रंग लगाया नहीं अब तक।


दिल खुश हो गया और आंखें रंगीन हो गई,

मेरी होली बिना रंग के बेहतरीन हो गई।


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मेरे कदमों के नीचे उस वक्त जमीन खिसक गई,

जब जाना वो बिन चेहरे बदले ही बदल गई। 


ये जो फ़िक्र मेरी हो रही है, इसका दाम बोलिए,

अच्छा, याद आई है मेरी तो फिर काम बोलिए।


भगवान प्यार करने के लिए दिल हर एक को देता है,

पर पहला प्यार सिर्फ किसी-किसी को देता है।



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घर पहुंचते ही यार फोन कर देना।

ऐसे बोलने वाले को जिंदगी में कभी ना खोना।


हाथों की लकीरें पढ़ते वक्त रो देता हूं मैं,

कि इनमें सब कुछ तो है तेरा नाम ही आखिर क्यों नहीं है।


खुद में काबिलियत हो तो भरोसा कीजिए,

सहारे कितने भी अच्छे हों साथ छोड़ जाते हैं।


आखिर क्या थी मजबूरी तेरी जो तूने रास्ता मोड़ लिया,

बरसों पुराना बनाया हुआ रिश्ता एक पल में तोड़ लिया।


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