Wada Shayari
किस काम की रही ये दिखाबे की ज़िंदगी,
वादे किए किसी से गुजारी किसी के साथ
ढूंढोगे कहाँ मुझको, मेरा पता लेते जाओ,
एक कब्र नई होगी एक जलता दिया होगा
ढूँढ ही लेता है मुझे किसी ना किसी बहाने से दर्द
वाकिफ़ हो गया है मेरे हर ठिकाने से
बात ये नहीं कि कोई मिलता नहीं
दिले ए मोमिन है अपना क़िब्ला बदलता नहीं
तेरी याद में इक पागल सा शख़्स,
आज इमाम से पहले सलाम फेर बैठा
हक़ीक़त मे हक़ीक़त की हक़ीक़त को अगर देखो
हक़ीक़त मे हक़ीक़त की हक़ीक़त और ही कुछ है
खुद खुशी कर नहीं सकता
बस दुआ करो की मौत आ जाए
ये मेरी ऐसी हसरत है.कि जिस हसरत पे,
खुद हसरत को भी हसरत है।
वो ख्याल ही मौत के समान है मेरे लिए ,
जहाँ तुम्हारे बिना जिंदगी जीनी पड़े मुझे
मसला ये नहीं कि तेरे बगैर जी नहीं सकते,
मसला ये है कि तेरे बगैर जीना ही नहीं चाहते।
वो जो कहती थी बिछड़ने से तुम्हारे मर जाऊंगी
आज उसके किसी और के बाइक पर देखा था हंसते हुए
उस एक शख्स की जुदाई से
हर एक शख्स अब ज़हर लगता है
Read Also:
0 Comments