शायरी
एक नई तर्ज का किरदार दिया जाएगा,
मोहब्बत की कहानी में मुझे मार दिया जाएगा।
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मेरे चेहरे पे हर सिलवट सलीके से रखी इसने
लगे हैं उम्र को बरसों मेरा सिंगार करने में
मैंने तमाम बुरे लम्हात अकेले गुजारे,
मैं किसी का शुक्र गुजार नहीं हूँ
एहसास कीजियेगा साँसों को खींचने में,
खून ए जिगर लगा था गुलशन को सींचने मे।
नहीं चाहिए ले जाइए यहां से दिल अपना,
हमको रहम की बू आ रही है आपकी जुबां से।
तेरे दीदार की कशिश तेरी चौखट तक खींच लायी,
कमबख्त दिल चीखता रहा तेरी आहट भी न आयी।
अज़ब हाल ज़िन्दगी का समझ आता नहीं,
खुशी हँसाती नहीं ग़म मुझे अब रुलाता नहीं।
समझदार होते तो मुहब्बत ही क्यूँ करते मुर्शद,
एक दीवाना क्या बताएगा इश्क का मतलब।
उसकी जीत से होती है खुशी मुझे,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था।
तुम्हें मुझसे कभी प्यार था ही नहीं,
तुम्हें मैं बस अच्छा लगता था।
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