Romantic Shayari
तुमसे तो वफादार तुम्हारा इत्र निकला
आज भी महकता है बेइंतहा मुझमें
खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मों से मोहब्बत करते हैं
क्योंकि रूह से मोहब्बत करने वाले को अक्सर तड़पते देखा है
फूंक मार और बुझा दे मुझ को
तेरे इश्क़ में जलता हुआ एक चिराग़ हू में
मैंने तुझे उस वक्त चाहा जब तेरा कोई ना था
तूने मुझे उस वक्त छोड़ा तब तेरे सिवा मेरा कोई ना था
कर दो तब्दील अदालतों को मयखानों में साहब
सुना है नशे में कोई झूठ नहीं बोलता
मैंने सब कुछ पाया, बस तुझको पाना बाकी है
यूं तो मेरे घर में कुछ कमी नहीं, बस तेरा आना बाकी है
एक सरहद तो होनी चाहिए मोहब्बत के जहान में
सुना है, लोग बहुत दूर ले जाकर छोड़ देते हैं
मैं यूं ही बेपरवाह ना हुआ,
मैंने किसी की बेइंतहा फ़िक्र की थी
किसी ने धूल क्या आँखो में झोंकी,
मैं अब पहले से बेहतर देखता हुँ।
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