Sad Shayari
मैं वाकिफ़ हूँ चार दिन की मोहब्बत से,
मैं भी रह चुका हूँ अज़ीज़ किसी का।
मोहब्बत को भी भूख होती है इज्ज़त की,
इज्ज़त ना मिले तो मोहब्बत मर जाती है।
ज़िक्र जब कोई ज़िन्दगी का करे,
हम तस्वुर में सिर्फ तुम्हे लाते है।
ज़ज्बात अपने काबू में रखो साहिब,
मुस्कुराना लड़कियों की फितरत होती है।
जरा सी देर में दिल मे उतरने वाले लोग,
जरा सी देर में दिल से उतर जाते है।
बहुत लाजवाब फरमाइश है मेरे दिल की ..
फिर से मुहब्बत करनी है और उससे ही करनी है।
मोहब्बत में शर्त भी कितनी अजीब रखती है वो,
हर शिकायत के बदले बोसा लबों पर लेती है वो।
शनिवार शाम को वो उसका रूखापन,
मेरे इतवार को सोमवार कर देता है।
मैं दिया हूँ मेरी फ़ितरत है उजाला करना,
वो समझते हैं कि मजबूर हूँ जलने के लिए।
समेटकर रख दिया है जज्बातों को,
थोड़े सुकून के हकदार हम भी हैं।
सलीके का ख्याल है मुझे,
तभी सिर्फ आंखें नम हूं आंसू छलके नहीं।
मोहब्बत तो तुमसे हर कोई करेगा,
कहां से लाओगे तलबगार हम जैसा।
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