Sad Shayari
अब भीख में मिली हुई तवज्जो,
हम मुँह पे मार देते हैं।
एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनाम,
जाते जाते कोई इल्ज़ाम लगाते जाओ।
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ख्यालों मे भटक जाना, तेरी यादों में खो जाना,
बहुत महंगा पड़ा है मुझको, सिर्फ तेरा हो जाना।
अब अच्छा नहीं लगता है मुझे,
के बार बार अपनी याद दिलाऊं।
उसके जाने का ग़म कितना है बताऊँ तुम्हे,
अब किसी का भी आना अच्छा नही लगता
उसके लबों का मय अफीम सा नशा हो जैसे,
ना मिले जिस दिन दिल बे-सुकुन रहता है।
कुछ अजीज यारो ने बातों में लगा रखा है वरना,
महबूबा से बिछड़ने वाले कब केे मर गए होते।
परखने वाले बहुत मिले मुझे,
काश किसी ने समझा भी होता।
तेरे इश्क़ की आग में जल कर ए महबूब,
कुछ मैं राख हुआ कुछ मैं पाक हुआ।
कमज़ोर पड़ गया था मुझसे उसका ताल्लुक,
क्योंकि उसके सिलसिले कहीं और मजबूत हो गए थे।
दिल तो करता है लिख दूँ तुम्हारा नाम शायरीयों मे,
पर डरते है कोई चुरा ना लें तुमको मेरे अल्फाजों की तरह।
मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा,
मैं तुम्हे याद आना चाहती हूं।
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