Sad Shayari
सब तेरी ओढ़नी के तार नज़र आते हैं
रास्ते जो भी चमकदार नज़र आते हैं
कोई पागल ही मोहब्बत से नवाज़ेगा मुझे
आप तो ख़ैर समझदार नज़र आते हैं
हसरत से सोचते हैं तुझे देखकर ये हम
बंदा वफ़ा परस्त हो,, चाहें हसीन न हो
कोई भी ख़ास सबब तो नहीं लगाव का
वो एक शक्स मुझे कुदरती ज़रूरी है
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
आदतन इश्क़ में बुराई नहीं
बशर्ते महबूब बेवफा न हो
फूल जैसे मख़मली तलवों में छाले कर दिए
गोरे सूरज ने हज़ारों जिस्म काले कर दिए।
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
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