Sad Shayari
सोचती हूं वो सोच रहा होगा मुझे ...
फिर सोचती हूं ये क्या सोच रही हूं मैं।
तुम उतर गये हो रुह में,
युं ही बेख्याल नहीं हुए हैं हम।
दिन भर जो देखता रहता है तुम्हें,
उस आईने से भी नफरत है मुझे।
थोड़ा बहुत,रह ही जाते हो,
हमने कितनी बार,आंखों से बहाया है तुझको।
तुझसे बिछड़ कर हम मुकद्दर के हो जाएंगे,
फिर ज़ो दर मिलेगा, हम उस दर के हो जाएंगे।
ताबीज़ पहन रखा है तेरे एहसासों का,
हर असर बे असर है एक तेरे असर के सिवा।
में मुहब्बत के इरादे से नहीं आया हूँ,
में फकत शेर सुनाऊँगा चला जाऊँगा
मुफ्त में मिल जाऊँ राय थोड़ी हूँ,
हर किसी को पसंद आऊँ चाय थोड़ी हूँ।
पा रहें है ख़ो रहें है,
तजुर्बे है हो रहें है।
कुछ यूँ भर लिया है मैंने अपनी आँखों में उन्हें,
अब ये आइना मुझे मेरी तस्वीर नहीं दिखाता।
तुम थोड़ा कम मुस्कुराया करो,
डूब मरेंगे हम तुम्हारे गालों के गड्ढे में।
सलीके हमें भी आते है उन्हें कब्ज़े में करने के,
मुर्शिद उनसे कहदो अपनी अदाओं पर गुरूर न करें।
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